Screen dependency disorder.... क्यों और कैसे ??
इस क्यों और कैसे को scientific नहीं psychological point of view से समझते हैं। सरल शब्दों में समझें तो screen dependency disorder एक लत है जिसमें बच्चे को एक addiction हैं खुद को लगातार किसी न किसी electronic gadget से जोड़े रखने का। Screen (जिसमें TV, mobile, tab, vedio games आदि शामिल हैं) के प्रति एक खिंचाव है जो बच्चे को उस gadget में उलझाए रहता है। दुनिया देखने के लिए उस screen का झरोखा चाहिए जो असल में उन्हें असल दुनिया से दूर कर रहा है। इस लत को screen dependency disorder कहते हैं। अब अगर हम इसके कारणों पर गौर करें तो एक सीधी सी बात समझ आती है कि लत लगने का कारण लगातार किसी एक ही चीज़ से exposure होता है इस तरह की वो चीज़ इंसान के दिल दिमाग पर हावी होने लगती है। सो इस screen की लत का भी यही सीधा सीधा कारण है। यानी parents बच्चों को इस तरह के gadgets देते हैं और बार बार देते हैं...
अब सवाल है क्यों देते हैं parents अपने बच्चों को इस तरह के gadgets ?
इसका जवाब कुछ टेढ़ा और दो टूक है। कुछ वक़्त के लिए चलिए बच्चों से ध्यान हटा कर कर खुद को देखते हैं। हम अपना वक़्त किसके साथ बाँटना पसंद हैं... ? मैं अपना सवाल कुछ और विस्तार में पूछती हूँ... सुबह उठते ही किसे पहली नज़र देखने की इच्छा होती है... दिन की फुर्सतों में किससे रूबरू होना अच्छा लगता है... रात को सोने से पहले वो कौन है जिसे हम आखरी बार देखना पसंद करते हैं... ख़ुशी बाँटने के लिए.... गम हल्का करने के लिए... कितने भी व्यस्त क्यों न हों वो वो कौन है जिसके लिए कुछ वक़्त ज़रूर चुरा लेते हैं...? चाहे जितना आत्मंथन कर लें इन सब सवालों का जवाब है आपका फ़ोन। बुरा लगा होगा, क्यों की इतने दिल छूते सवालों का जवाब तो कोई इंसान ही होना था... जीवनसाथी या कोई और खास... मगर जी जवाब में तो हाथ आया एक निर्जीव plastic का खिलौना जिसने हमें अपने बस में कर रखा है। शायद कुछ ग्लानि भी हुयी होगी... मगर अगले ही पल अपने खुद को संभल लिया होगा ये तर्क दे कर की ये खिलौना (जो मुझे यकीन है आपके हाथों में है... ये ब्लॉग आप उसी पर तो पढ़ रहे हैं) आपकी ज़िन्दगी में कितना अहम है। हर चीज़ का विकल्प है ये। घडी, alarm, calculator, radio. music system, camera,TV, letters, photo album... बड़ी लम्बी list है उन चीज़ों की जिन्होंने हमारे घरों से विदा ली इन phones के आने के बाद... ये smart phones धीरे धीरे हमारी सारी दुनिया खुद में समेटे लेते हैं। अब तो यही हमारे बाजार और bank हैं। खाना हो या helpers सब phone के ज़रिये हो जाता है। अब इस फ़ोन के अलावा हमारी कोई और ज़रूरत नहीं.... कभी कभी हमें अपनों की भी ज़रूरत नहीं होती। तो phone की अहमियत तो मैंने बता दी... अब इसकी आदत की भी बात कर लेते हैं। कारण कोई भी हो हमारा सारा वक़्त phone के सुपूर्त है और ऐसे में अगर हमारे जीवन में एक बच्चा हो तो? जितना वक़्त बच्चे को हमसे चाहिए उस वक़्त मैं हम अकेले उसके साथ नहीं होते... हमारा phone भी साथ होता है। अब जब हमारी दुनिया ही phone है तो वो बच्चे को भी खुद में समेट लेती है। लोरी से फुसलाने तक और फिर शांत बिठाने से पढ़ाने तक phone ही एक मात्र साधन समझ आता है। कभी कभी किसी से phone या vedio call पर बात करवाना या कभी यूँ ही बच्चे के साथ कुछ phone का आनद लेना... हम साझ पाए इससे पहले ये phone बच्चे की दुनिया बन जाता है।
अब और नहीं लिखती.... आप पर छोड़ती हूँ... यहाँ से आगे आप खुद सोचें तो वो "क्यों और कैसे" जो प्रश्न blog की शुरुआत में उठाये थे... उनका जवाब आपको खुद ही मिल जायेगा...
screen dependency disorder का व्याख्यान यहीं ख़तम नहीं होता... अगले ब्लॉग में हम जानेंगे इस बीमारी (जी हाँ ये एक बीमारी है ) के लक्षण.... तब तक इस बात पर विचार करें....
for more information please follow or subscribe our blog and for any questions regarding treatment plz visit and consult through healthymomshome.com
इस क्यों और कैसे को scientific नहीं psychological point of view से समझते हैं। सरल शब्दों में समझें तो screen dependency disorder एक लत है जिसमें बच्चे को एक addiction हैं खुद को लगातार किसी न किसी electronic gadget से जोड़े रखने का। Screen (जिसमें TV, mobile, tab, vedio games आदि शामिल हैं) के प्रति एक खिंचाव है जो बच्चे को उस gadget में उलझाए रहता है। दुनिया देखने के लिए उस screen का झरोखा चाहिए जो असल में उन्हें असल दुनिया से दूर कर रहा है। इस लत को screen dependency disorder कहते हैं। अब अगर हम इसके कारणों पर गौर करें तो एक सीधी सी बात समझ आती है कि लत लगने का कारण लगातार किसी एक ही चीज़ से exposure होता है इस तरह की वो चीज़ इंसान के दिल दिमाग पर हावी होने लगती है। सो इस screen की लत का भी यही सीधा सीधा कारण है। यानी parents बच्चों को इस तरह के gadgets देते हैं और बार बार देते हैं...
अब सवाल है क्यों देते हैं parents अपने बच्चों को इस तरह के gadgets ?
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अब और नहीं लिखती.... आप पर छोड़ती हूँ... यहाँ से आगे आप खुद सोचें तो वो "क्यों और कैसे" जो प्रश्न blog की शुरुआत में उठाये थे... उनका जवाब आपको खुद ही मिल जायेगा...
screen dependency disorder का व्याख्यान यहीं ख़तम नहीं होता... अगले ब्लॉग में हम जानेंगे इस बीमारी (जी हाँ ये एक बीमारी है ) के लक्षण.... तब तक इस बात पर विचार करें....
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