Tuesday, December 25, 2018

Screen dependency disorder के multidimensional consequences हो सकते हैं। 

Physical effects : portability mobile phones का सबसे बड़ा plus point है और इस context में ये सबसे बड़ा demerit भी। हम चाहे कहीं भी जाएँ, mobile हमेशा हाथों में रहता है और जब साडी दुनिया ही phone में सिमट गयी है तो फिर कहीं और जाने की ज़रूरत ही क्या है।  जिन बच्चों को mobile का addiction और screen dependency disorder है उनका सारा वक़्त phone पर ही बीतता है। एक जगह बैठे या लेटे phone चलने वाले बच्चों की physical activity तो न के बराबर है। बस यही कारण है इस generation में obesity और related health problems का। Weight gain or loss, headache, insomnia और  poor nutrition  कुछ important signs हैं इस condition के। 

Mental effects :  studies कहतीं हैं कि Screen dependency disorder के बच्चों में “microstructural and volumetric difference in or abnormalities of both grey and white matter in their brain.” देखा गया हैं। सरल शब्दों में कहा जाये तो Screen dependency disorder के बच्चों के दिमाग में बहुत छोटे मगर significant बदलाव देखे गए हैं जिनमें दिमाग की संरचना और साइज में कमी पायी गयी है। 

Behavioral effects : लम्बे समय से Screen dependency disorder से ग्रस्त बच्चों में problematic behavior दिखने लगता है। ये बच्चे withdrawal symptoms, outside activities में interest न लेना और duration of mobile usage को ले कर झूठ या गलत बोलना। 

Emotional effects : Screen dependency disorder के बच्चों में emotional swings मिलते हैं जैसे anxiety, guilt, loneliness और dishonesty. ये feelings mobile पाने और उसके इस्तेमाल के तरीकों दोनों से जुडी हैं। 


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Sunday, December 9, 2018

Screen dependency disorder को पहचानना बहुत आसान है। ये बात identification की नहीं बल्कि acceptance की है। कहने का सीधा सम्बन्ध इस बात से है कि सबसे पहले parents को ये मानना पड़ेगा कि आपके बच्चे का mobile usage बस एक leisure activity से बढ़ कर addiction का रूप ले चुका है। Casual usage और addiction में जो एक बड़ा फर्क है वो ये है dependency का फर्क। Casual usage में mobile एक add -on की तरह है, जैसे एक perk जो बच्चे को कभी कभी मिले और उसके प्रति बच्चे में बस उत्सुकता हो। वहीँ दूसरी ओर addiction का मतलब है कि बच्चे के लिए mobile एक basic necessity के तौर पे ज़रूरी है और बच्चा उस पर निर्भर है। ये समझना  बहुत आसान है कि कब mobile usage एक addiction बन गयी है। ये सारा वक़्त का माज़रा है। अगर बच्चे के दिन का ज्यादातर वक्त mobile के साथ ही बीतता है तो वो screen dependency disorder की दह़लीज़ पर खड़ा है। ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात ये है कि यदिmobile का इस्तेमाल बच्चे की daily activities को affect करता है तो ये screen dependency disorder का पहला लक्ष्ण है।



इस बीमारी और इससे जुड़ी बातों को और विसतार में जानेंगें अगले blog में। तब तक विष्लेशण करें कि आपके बच्चे की mobile में रूचि कहीं addiction की और तो नहीं बढ़ रही?

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Sunday, December 2, 2018

Screen dependency disorder.... क्यों और कैसे ??
इस क्यों और कैसे को scientific नहीं psychological point of view से समझते हैं। सरल शब्दों में समझें तो screen dependency disorder एक लत है जिसमें बच्चे को एक addiction हैं खुद को लगातार किसी न किसी electronic gadget से जोड़े रखने का। Screen (जिसमें TV, mobile, tab, vedio games आदि शामिल हैं) के प्रति एक खिंचाव है जो बच्चे को उस gadget में उलझाए रहता है। दुनिया देखने के लिए उस screen का झरोखा चाहिए जो असल में उन्हें असल दुनिया से दूर कर रहा है। इस लत को screen dependency disorder कहते हैं। अब अगर हम इसके कारणों पर गौर करें तो एक सीधी सी बात समझ आती है कि लत लगने का कारण लगातार किसी एक ही चीज़ से exposure होता है इस तरह की वो चीज़ इंसान के दिल दिमाग पर हावी होने लगती है। सो इस screen की लत का भी यही सीधा सीधा कारण है। यानी parents बच्चों को इस तरह के gadgets देते हैं और बार बार देते हैं... 
अब सवाल है क्यों देते हैं parents अपने बच्चों को इस तरह के gadgets ?
इसका जवाब कुछ टेढ़ा और दो टूक है। कुछ वक़्त के लिए चलिए बच्चों से ध्यान हटा कर कर खुद को देखते हैं। हम अपना वक़्त किसके साथ बाँटना पसंद हैं... ? मैं अपना सवाल कुछ और विस्तार में पूछती हूँ... सुबह उठते ही किसे पहली नज़र देखने की इच्छा होती है... दिन की फुर्सतों में किससे रूबरू होना अच्छा लगता है... रात को सोने से पहले वो कौन है जिसे हम आखरी बार देखना पसंद करते हैं... ख़ुशी बाँटने के लिए.... गम हल्का करने के लिए... कितने भी व्यस्त क्यों न हों वो वो कौन है जिसके लिए कुछ वक़्त ज़रूर चुरा लेते हैं...? चाहे जितना आत्मंथन कर लें इन सब सवालों का जवाब है आपका फ़ोन। बुरा लगा होगा, क्यों की इतने दिल छूते सवालों का जवाब तो कोई इंसान ही होना था... जीवनसाथी या कोई और खास... मगर जी जवाब में तो हाथ आया एक निर्जीव plastic का खिलौना जिसने हमें अपने बस में कर रखा है। शायद कुछ ग्लानि भी हुयी होगी... मगर अगले ही पल अपने खुद को संभल लिया होगा ये तर्क दे कर की ये खिलौना (जो मुझे यकीन है आपके हाथों में है... ये ब्लॉग आप उसी पर तो पढ़ रहे हैं) आपकी ज़िन्दगी में कितना अहम है। हर चीज़ का विकल्प है ये। घडी, alarm, calculator, radio. music system, camera,TV, letters, photo album... बड़ी लम्बी list है उन चीज़ों की जिन्होंने हमारे घरों से विदा ली इन phones के आने के बाद... ये smart phones धीरे धीरे हमारी सारी दुनिया खुद में समेटे लेते हैं। अब तो यही हमारे बाजार और bank हैं। खाना हो या helpers सब phone के ज़रिये हो जाता है। अब इस फ़ोन के अलावा हमारी कोई और ज़रूरत नहीं.... कभी कभी हमें अपनों की भी ज़रूरत नहीं होती। तो phone की अहमियत तो मैंने बता दी... अब इसकी आदत की भी बात कर लेते हैं। कारण कोई भी हो हमारा सारा वक़्त phone के सुपूर्त है और ऐसे में अगर हमारे जीवन में एक बच्चा हो तो? जितना वक़्त बच्चे को हमसे चाहिए उस वक़्त मैं हम अकेले उसके साथ नहीं होते... हमारा phone भी साथ होता है।  अब जब हमारी दुनिया ही phone है तो वो बच्चे को भी खुद में समेट लेती है। लोरी से फुसलाने तक और फिर शांत बिठाने से पढ़ाने तक phone ही एक मात्र साधन समझ आता है। कभी कभी किसी से phone या vedio call पर बात करवाना या कभी यूँ ही बच्चे के साथ कुछ phone का आनद लेना... हम साझ पाए इससे पहले ये phone बच्चे की दुनिया बन जाता है। 
अब और नहीं लिखती.... आप पर छोड़ती हूँ... यहाँ से आगे आप खुद सोचें तो वो "क्यों और कैसे" जो प्रश्न blog की शुरुआत में उठाये थे... उनका जवाब आपको खुद ही मिल जायेगा...  

screen dependency disorder का व्याख्यान यहीं ख़तम नहीं होता... अगले ब्लॉग में हम जानेंगे इस बीमारी (जी हाँ ये एक बीमारी है ) के लक्षण.... तब तक इस बात पर विचार करें.... 


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Screen dependency disorder के multidimensional consequences हो सकते हैं।  Physical effects : portability mobile phones का सबसे बड़ा plus...